
नहाए धोए मन्दिर मै जा थी।
हर की माला हाथ ले जा थी।
पहली चुगली सासु जी नै खाई।
तेरी बहु रै बेटा मन्दिर मै जा सै।
जावै सै तो जानै दे री माता।
करनी पार उतरनी हरी कै।
दूजी चुगली बाई जी नै खाई।
तेरी बहु रै बीरा मन्दिर मै जा सै।
जावै सै तो जानै दे री बेबे।
करनी पार उतरनी हरी कै।
तीजी चुगली जिठानी नै खाई।
तेरी बहु रै देवर मन्दिर मै जा सै।
जावै सै तो जानै दे री भाभी।
करनी पार उतरनी हरी कै।
चौथी चुगली पड़ोसिन नै खाई।
तेरी बहु रै छोरा मन्दिर मै जा सै।
जावै सै तो जानै दे री ताई।
करनी पार उतरनी हरी कै।
हर का घर तै आई हे पालकी।
अर्था रो डंडों सासु जी नै पकड़ो।
हम भी चला बहु साथ हरी कै।
थम तो सासु जी म्हारी चुल्हा री अग्नि।
जलती बुझती आइयो हरी कै।
अर्था रो डंडों बाई जी नै पकड़ो।
हम भी चला भाभी साथ हरी कै।
थम तो बाई जी म्हारी अम्बर री बिजली।
तड़क भड़कती आइयो हरी कै।
अर्था रो डंडों जिठानी नै पकड़ो ।
हम भी चला थारै साथ हरी कै।
थम तो जिठानी म्हारी भीता री छिपकली।
लपक झपकती आइयो हरी कै।
अर्था रो डंडों पड़ोसन नै पकड़ो।
हम भी चला बहु साथ हरी कै।
थम तो पड़ोसन चुगलखोर सो।
चुगली करती आइयो हरी कै।
अर्था रो डंडों राजा जी नै पकड़ो।
हम भी चला गौरी साथ हरी कै।
थम तो राजा जी म्हारा राजकवंर सो।
राज पाट ले आइयो हरी कै।
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