
कैसे निकलू से रेखा के बाहर
मेरे देवर कसम दें गये हैं-गये है
मॉ उलघन न रेखा का करना।
हमसे सौ बार कह के गये हैं-गये है।
कैसे निकलू💐💐💐💐💐💐💐।
रेखा को तोड़ सकती नहीं हूँ।
आन को छोड़ सकती नहीं हूँ।
मानकर मेरी आज्ञा को लेकर।
रक्षा भाई की करने गये हैं-गये है।
कैसे निकलू 💐💐💐💐💐💐💐।
प्राण पति है प्रीतम हमारे
ले धनुष बाण वन को सिधारे।
वन सघन बीच रघुनाथ मेरे
पीछे-2 हिरन के गये है-गये है।
कैसे निकलू 💐💐💐💐💐💐💐।
दे दो आशीष बाबा जी यूँ ही
हो मनोकमना मेरी पूरी।
लौट आये कुशल मेरे स्वामी।
वन में आखेत करने गये है-गये है।
कैसे निकलू म💐💐💐💐💐💐।
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