जगत जननी मेरी मैया मेरा उद्धार कैसे हो।

अंधेरा छा रहा जग मे ये जग उजियार कैसे हो।

न सोना है न चांदी है न हीरा है न मोती है।

तेरे मंदिर में आकर के तेरा श्रृंगार कैसे हो।

जगत जननी 💐💐💐💐💐💐।

न विद्या है न वाणी है  न वाणी में मधुरता है।

तेरे दरबार मे आकर  तेरा गुणगान कैसे हो।

जगत जननी 💐💐💐💐💐💐।

न खेवट है न नैया है न नैया का खिवैया है।

पड़ी मझधार मे नैया ये भव से पार कैसे हो।

जगत जननी💐💐💐💐💐💐।

न भाई है न बन्धु है न संग परिवार अपना है।

अकेली आई हूँ मैया मुझे अपना बना लेना।

जगत जननी💐💐💐💐💐💐💐।


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