आज तो रै श्रवण खीर रंधी सै।

के रै त्योहार मनाया जै बोलो हर की।

झूठ री माता झूठ ना बोलु।

खीर तो रोज रंधै सै जय बोलो हर की।

इतनी कै सुन के श्रवण रानी धोरै आया।

तैनै रै रानी जुल्म कमाया।

एक हांडी दो पेट बनाया जय बोलो हर की।

म्हारा तो श्रवण दोष नहीं सै।

कुम्हरे के नै बनाए जय बोलो हर की।

इतनी कै सुनके श्रवण कुम्हारा कै दौड़ा।

तैनै रै कुम्हरे जुल्म कमाया।

एक हांडी दो पेट बनाया जय बोलो हर की।

म्हारा तो श्रवण दोष नहीं सै।

रानी नै कह बनवायें जय बोलो हर की।

इतनी कै सुनके श्रवण खातिया कै दौड़ा।

खाती के रै दो कावड़ घड़ दे।

घड़ के ना तैयार बना दे जय बोलो हर की।

अगला पालड़े मै बाप बैठाया।

पिछले मै माता बैठाई जय बोलो हर की।

एक बन चालया हे श्रवण दो बन चालया।

तीजे मै मरे हे पिसाए जय बोलो हर की।

बड़ की कुचली मै कावड़ टांगी।

ठाके तो गठवा पानी चालया जय बोलो हर की।

कोढा तो होके हे श्रवण गडवा डबोया।

दशरथ नै तीर चलाया जय बोलो हर की।

तेरे तो मामा बहन बहनोइया।

कावड़ मै मरै हो पिसाए जय बोलो हर की।

ठाके तो दशरथ गडवा पानी का चालया।

अनबोला मूहँ कै लगाया जय बोलो हर की।

के तो रै श्रवण बेटा म्हारा तै रुसा।

के रै किसी नै धमकाया जय बोलो हर की।

तेरा तो बेबे श्रवण मेरे तै मर गया।

  हिरण के  धोखे मै मारा जय बोलो हर की।

तु तो रै दशरथ नुये रै मरियो।

म्हारी रै छुटी रे प्राणी जय बोलो हर की।

Categories: Ram bhajan

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