
अंगुठी मेरे रघुवर की यहाँ पर कौन लाया है
अंगुठी हाथ मे लेकर अंगुठी से सिया बोली।
अंगुठी है ये रघुवर की यहाँ पर कौन लाया है।
ये बजंरग पेड से उतरे सिया के पास आए है।
झुकाया शीश चरणों मे वचन माँ को सुनाया है।
डरो मत जानकी माता मै रघुवर का ही सेवक हूँ।
अंगुठी मै ही लाया हूँ मुझे रघुवर ने भेजा है।
लगी है भूख माँ मुझको ये फल खाने का बतलाओ।
लगे है पेड पर ये फल मेरा मन इनपे आया है।
पेड तोड़े और फल खाए कुमार अक्षय को मारा है।
बंधे ब्रह्म पास मे बजंरग पास रावण के आए है।
दूत ये मेरे दुश्मन का इसे अंग भंग कर डालो।
लगा दो पूछ मे अग्नि ये रावण ने सुनाया है।
लगा दी पूछ मे अग्नि ये लंका राख कर डाली।
बुझाई पूछ सागर मे पास माता के आए है।
ये चुड़ामणी मेरी ले जा मेरे रघुवर को दे देना।
ये कहना उनसे जाकर के तुम्हें जल्दी बुलाया है।
अंगुठी है ये💐💐💐💐💐💐💐।
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