तीन लोक के स्वामी तेरी।लीला अपरम्पार

दिवानी तेरी हो गई रे सावरियाँ घनश्याम।

जिसने नाम लियो तेरो कान्हा।

उसको दिया सहारा।

बीच भवँर मे अटकी नैया देते सदा किनारा

जब भगतो ने दिल से पुकारा।

कर दिया उद्धार दिवानी तेरी हो गई रे

सावरियाँ घनश्याम।

नरसी जी का मान बढाया जुनागढ मे जाके।

ऐसो भात भरो सावरियाँ शवर्ण मेह करवायो।

अपने भगत कि लाज बचाते।

कर दई नैया पार दिवानी तेरी हो गई रे

सावरियाँ घनश्याम।

सभा बीच मे रोवै थी वो द्रोपद अबला नारी।

चीर बढाके मनमोहन तैनै हर लई विपता सारी।

जाने ना कोई महिमा थारी।

मेरे मदन मुरारी दिवानी तेरी हो गई रे सावरियाँ

घनश्याम।

सदा भगतों कि लाज बचाई जपते नाम तुम्हारा।

पल ए पल मे क्या कर देते जाने ये जग सारा।

प्यारा भगत बेचारा तेरा।

 रटता बारम्बार दिवानी तेरी हो गई रे

सावरियाँ घनश्याम।


0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *