कैसा सुन्दर मृग बणों मे चरने आया है 

सुन्दर सींग नयन मतवाले।

कोमल कान कमल से न्यारे।

कैसा चित्र विचित्र विधाता ने रच के बनाया है।

कैसा सुन्दर 💐💐💐💐💐💐💐💐।

सिया ने माना अचम्भा मन मे।

ऐसा मृग नहीं देखा वन मे।

पकड़ो दीनानाथ मृग मेरे मन को भाया है।

कैसा सुन्दर💐💐💐💐💐💐💐💐।

रामचन्द्र थे बहुत घने ज्ञानी।

बात सिया जी की फिर भी मानी।

ठाऐ धनुष और बाण मृग पे तीर चलाया है।

कैसा सुन्दर💐💐💐💐💐💐💐💐।

दूर-दूर जाके मृग जी बोले।

हाय लखन हाय सिया पुकारे।

सुन कपटी कि आवाज़ सिया का मन धबराया है।

कैसा सुन्दर💐💐💐💐💐💐💐💐।

लखन लाल तुम जल्दी जाओ।

अपने भ्राता के प्राण बचाओ।

रघुकुल नन्दन रामचन्द्र पर संकट आया है।

कैसा सुन्दर💐💐💐💐💐💐💐💐।

एक बात मेरी सुन लो माता।

उनको कौन मार दे माता ।

तीन लोक के नाथ राम नै तो काल डराया है।

कैसा सुन्दर💐💐💐💐💐💐💐💐।

Categories: Ram bhajan

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