
लेकर के खड़ी सीता जयमाला पहनाने को।
तड़पे उनका मनवा दुल्हन बन जाने को।
लेकर के खड़ी 💐💐💐💐💐💐।
छुते हि धनुष टुटा श्री राम से पल भर मे।
ये सुनके सिया आई सज धज के स्वयंवर मे।
खुद आई रघुवर से जयमाला पहनाने को।
लेकर के💐💐💐।तड़पे 💐💐💐💐।
ऊचे सिंहासन पर बैठे थे राम जहाँ।
जिससे ना पहुंच पाए सीता के हाथ वहाँ।
जयमाला कि कलियाँ आई मुरझाने को।
लेकर के💐💐💐।तड़पे💐💐💐💐।
इस नारी पे भगवन थोड़ा उपकार करो।
थोड़ा सा झुक कर के माला स्वीकार करो।
संग कि सखियाँ आई रघुवर को मनाने को।
लेकर के💐💐💐।तड़पे💐💐💐💐।
श्री राम ने ये सोचा मै शक्तियां होकर के।
एक नारी से माला पहनुंगा झुक करके।
तैयार हुए ना वो सर अपना झुकाने को।
लेकर के💐💐💐।तड़पे💐💐💐💐।
फिर नैन इशारों मे सीता ने लखन से कहा।
पृथ्वी को उठा ले तु अपने फन पर ये वसुधा।
कितना बल है तुझमें आई अजमाने को।
लेकर के💐💐💐।तड़पे💐💐💐💐।
ये लखन तेरा मैया पृथ्वी जो उठाएगा।
तो सिंहासन उतना ऊचाँ उठ जाएगा।
मुझसे ना कहो माता पृथ्वी को उठाने को।
तड़पे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
श्री लक्ष्मण रघुवर के चरणों मे जा बैठे।
श्री राम झुके थोड़ा तुम कहो लखन बेटे।
देरी न सिया ने कि जयमाला पहनाने की।
हर्षे उनका मनवा दुल्हन बन जाने से।
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