म्हारी सुरता घुंघट के पट खोल दिखाऊँ तनै हरी नगरी।

अविनाशी है पति हमारे।जीवन मरण से है वो न्यारे।

हे म्हारी हेली गैरा संग मत डोल पिया संग जा नगरी।

म्हारी सुरता💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

काया माया संग नहीं जानी।फिर क्यों खाक जगत की छानी।

हे म्हारी हेली जैसे कुंए बिच डोल भरैगी सारी नगरी।

म्हारी सुरता💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

सुरता अपना ब्याह करवा ले।ब्रह्मपति से मेल बढ़ा ले।

हे म्हारी सुरता खूब मिला तेरा जोग लूट लई हरि नगरी।

म्हारी सुरता💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

मंगलानन्द हरी गुणगावे।राह भूले को राह बतावे।

हे म्हारी सुरता शुद्ध शब्द मुख बोल सोवे मत उठ जगरी।

म्हारी सुरता💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

Categories: Ram bhajan

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