
ये तो अंगूठी मुझे प्राणों से प्यारी।
इसे कौन ले के आया इसे कौन ले के आया
मेरे रघुवर की प्रीतम की।
माता भी छोड़ी मैंने पिता भी छोड़े ।
छोड़ दई ये जनकपुरी बाबुल की।
ये तो अंगुठी💐💐💐।इसे कौन💐💐💐।
सासू भी छोड़ी मैंने ससुर भी छोडा।
छोड दई ये अवधपुरी राजा दशरथ की।
ये तो अंगुठी💐💐💐।इसे कौन💐💐💐।
देवर भी छोडे मेरे पति भी छोडे।
छोड दई ये पंचवटी रघुवर की ।
ये तो अंगुठी💐💐💐।इसे कौन💐💐💐।
पत्तों कि ओट मे हनुमत बोले।
इसे मै ले के आया-2
माता जानकी रघुवर की।
ये तो अंगुठी💐💐💐।इसे कौन💐💐💐।
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