मेरा अवगुण भरया शरीर मैया जी कैसे तारोगे।

कपड़ें मैले साबुन थोड़ा नदी किनारे धोवा।

ऐसे दाग लगे कुदरत दे शेरावालिये।

ऐसे दाग लगे कुदरत दे धोवा ते नाल मै रोवा

 मैया जी कैसे तारोगे।

मेरा अवगुण💐💐💐💐💐💐।

ओ चुन चुन कंकर महल बनाया।

बंदा कहे घर मेरा।

ना घर तेरा ना घर मेरा

ना घर तेरा ना घर मेराचिडिय़ा रैन बसेरा

मैया जी कैसे तारोगे।

मेरा अवगुण💐💐💐💐💐💐।

ओ बाग भी तेरा बगीचा भी तेरा।

सब कुदरत दा मेवा।

खाना ही फल खाले बंदिया शेरावालिये

खाना ही फल खाले बंदिया फेर नहीं हाथ वेला

मैया जी कैसे तारोगे।

मेरा अवगुण💐💐💐💐💐💐।


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