
हे भिलनी तेरे आवैंगे भगवान रात नै सोइये मतना।
बखत उठ के कुटिया झाड़ी ।
सारे जंगल मे देई बुहारी।
हे भिलनी तु झाड़ बिछाले खाट-खाट ने ठाइये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
बखत उठ गंगा पै आई।
गंगाजल की झारी भर लाइये।
हे भिलनी तु पीले न दो घुट तीसरा पीइये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐💐।
बखत उठ बागो मे जाइये।
पीले फूल तोड़ के लाईये।
हे भिलनी तु पौ ले ना दो हार तीसरा पोईये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐💐।
बखत उठ के बन मै जाईये।
मीठे बेर तोड़ के लाईये।
हे भिलनी तु लाईये बेर बेर नै खाईये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐💐।
खिड़की खोल के देखन लागी।
बेरा नै वो चाखन लागी।
हे भिलनी तेरे खावैंगे भगवान बेर नै धोइये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐।
राम और लक्ष्मण दोनों आए।
संग मै सीता जनक दुलारी।
हे भिलनी तैनै मांगना हो सो मांग आज सरमाइये मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐।
आपै हि जागी आपै हि सोई।
सारी जिंदगी बन मै खोई।
हे सखियों इब निकलेंगे मेरे प्राण आज थम रोईयो मतना।
हे भिलनी💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
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