
बरसाने वाली ऐसी रुठी झुला झुले ना
झुलन देय।
वो राधा रानी ऐसी रुठी झुला झुले ना
झुलन देय।
चंदन की पटरी विशाखा लाई।
रेशम की डोरी ललिता लाई।
मटक कर ऐसी बैठी डोर डाले ना डालन देय।
बरसाने वाली ऐसी💐💐💐💐💐💐।
हँसकर बोली सखी विशाखा।
बिन मोहन झुला नहीं भाता।
झटक कर ऐसी बैठी राधे बोले ना बोलन देय।
बरसाने वाली ऐसी💐💐💐💐💐💐।
इतने मे आ गए बनवारी।
क्यों रुठी हो राधा प्यारी।
पैर पटक कर ऐसी बैठी पट खोले न खोलन देय।
बरसाने वाली ऐसी💐💐💐💐💐💐।
पड़ पैया घनश्याम मनावे।
मन्द मन्द राधे मुस्काए।
लिपटकर ऐसी रोई चुप होवे ना होवन देय।
बरसाने वाली ऐसी💐💐💐💐💐💐।
राधेश्याम की प्रीत पुरानी।
जाको जानत है नर नारी।
राधे की रात ऐसी बीती राधे सोवे ना सोवन देय।
बरसाने वाली ऐसी💐💐💐💐💐💐।
0 Comments