कठै बोयो हे सखियों केवड़ो।

या कठै नागर बेल आरती कृष्ण की।

आंगन बोवा हे सखियों केवड़ो।

सतसंग मे नागर बेल आरती कृष्ण की।

फैलन लागो हे सखियों केवड़ो।

या चढ़ गई नागर बेल आरती कृष्ण की।

गुजरी कह गई हे सखियों कृष्ण नै।

थम आईयो बरसाना की राह आरती कृष्ण की।

घोड़ो हो तो हे सखियों बांध लया।

यो हिवड़ो बांधो ना जाय आरती कृष्ण की।

कागज हो तो हे सखियों बाचँ लया।

ये कर्म ना बाचया जाय आरती कृष्ण की।

बहुड़ हो तो हे सखियों डाट लया।

ये धीयड़ डाटी ना जाय आरती कृष्ण की।

सब देवता ने राम हे राम आरती कृष्ण की।

सारी सखियाँ ने राम हे राम आरती कृष्ण की।

भुलया भिसरा ने राम हे राम आरती कृष्ण की।


0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *