
तुलसीदास की कथा सुनाऊ सियारामा।
सुन लो ध्यान लगाए भजो मन सियारामा।
तुलसीदास जब घरनै आए सियारामा।
रत्ना घर ना पाई भजो मन सियारामा।
तुलसीदास सुसराल चाल पड़े सियारामा।
हो गई आधी रात भजो मन सियारामा।
रस्ते मै एक गंगा बहवै थी सियारामा।
कैसे जाऊ पार भजो मन सियारामा।
गंगा मै एक मुर्दा बहवै था सियारामा।
तुलसी ने समझी नाव भजो मन सियारामा।
नाव समझ मुर्दे पै बैठ गया सियारामा।
हो गई गंगा पार भजो मन सियारामा।
हो तुलसीदास सुसराल पहुंच गए सियारामा।
दरवाजे हुए बन्द भजो मन सियारामा।
दरवाजे पे एक सर्प लटक रहा सियारामा।
तुलसी ने समझी बेल भजो मन सियारामा।
हो बेल समझ के ऊपर चढ गए सियारामा।
हो आए रत्ना के पास भजो मन सियारामा।
इतनी रात तुम कैसे आए सियारामा।
हो कैसे करी गंगा पार भजो मन सियारामा।
गंगा मे एक मुर्दों बहवै थो सियारामा।
हो हमनै समझी नाव भजो मन सियारामा।
नाव समझ मुर्दे पै बैठ गए सियारामा।
हो हो गई गंगा पार भजो मन सियारामा।
जब रत्ना सुसराल मे आए सियारामा।
हो दरवाजे हुए बन्द भजो मन सियारामा।
हो दरवाजे पै एक सर्प लटक रहो सियारामा।
हमनै समझी बेल भजो मन सियारामा।
हो बेल समझ के ऊपर चढ गए सियारामा।
आए तुम्हारे पास भजो मन सियारामा।
इतनो हेज मेरे तै करो जो सियारामा।
इतनो हेज हरी पै लगाओ सियारामा।
दोए कदम तुम आप बढाओ सियारामा।
चार कदम हरी आप बढावै सियारामा।
इब रत्ना तेरी सेज चढु ना सियारामा।
हो हो गया आत्मज्ञान भजो मन सियारामा।
हो तु रत्ना मेरी गुरु धर्म की सियारामा।
हो दे दियो आत्मज्ञान भजो मन सियारामा।
तुलसीदास तो उठ के चाल पड़े सियारामा।
हो पहुंचे गंगा घाट भजो मन सियारामा।
तुलसीदास गंगा पै बैठ गए सियारामा।
हो बन गए तुलसीदास भजो मन सियारामा।
हो तुलसीदास तो चंदन घिस रहे सियारामा।
हो तिलक करै रघुवीर भजो मन सियारामा।
हो तुलसीदास रामायण लिख रहे सियारामा।
हो हो गए भव से पार भजो मन सियारामा।
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