सरवर  गिरधारी चलो -2

लेते चले नीर रे, चलत चलत पहुंचे सरयू के तीर रे।

मात पिता श्रवण के अन्धे कावड़ मे बैठायके।

पहुंच गए सरयू के तट पे सब तीर्थ करवाय के।

माटे से मिटती नाही-2

कर्म की लकीर रे, चलत चलत पहुंचे सरयू के तीर रे।

मात पिता श्रवण के बोले लगी जोर से प्यास रे।

प्यास के मारे हम दोनों का चेहरा बडा उदास रे।

लाके पिला दो बेटा-2

थोड़ा सा नीर रे ,चलत चलत पहुंचे सरयू के तीर रे।

अवधपुरी का राजा दशरथ खेलनै चला शिकार रे।

धनुषबाण कन्धे पे रखके निकल गया उस पार रे।

झाड़ी मे छिपकर बैठा-2

दशरथ महावीर रे,चलत चलत पहुंचे सरयू के तीर रे।

लेके कमण्डल हाथ मे श्रवण लेने चल दिऐ नीर रे।

उसी समय दशरथ  बैरी का छुटा हाथ से तीर रे

मृगा के धोखे मारे-2 

श्रवण महावीर रे,चलत चलत पहुंचे सरयू के तीर रे।

सरवर गिरधारी💐💐💐💐💐💐💐।     

Categories: Ram bhajan

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