
प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
तुने कैसे तो आकाश बनाया।
नहीं खम्भा एक लगाया है ये मेरी समझ नहीं आया।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐।
तुने कैसे तो ये धरती बनाई।
कही रेत के टिब्बे पहाड़ बनाए।
कहीं सागर गहरा बनाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐💐।
तुने तरह-तरह के मानुष बनाए।
तु जीव कहा से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐।
तुने तरह-तरह के पेड बनाए।
तु बीज कहा से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐💐
तुने तरह-तरह के फूल बनाए।
तु खुशबू कहा से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐।
तुने सतरंगी ये दूनिया बनाई।
तु रंग कहाँ से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐।
तुने तरह-तरह के भोग बनाए।
तु स्वाद कहाँ से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐💐💐।
तुने अलग-अलग सब भाग्य बनाए।
तकदीर कहाँ से लाया है ये मेरी समझ नहीं आया है।
प्रभु कैसा💐💐💐💐💐💐💐💐।
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