पिया बज गये पौने हो पाच सिरहाने
तेरै कब की खड़ी।
गौरी निंदा मै करी ना पिछान सिरहाने मेरै
कौन खड़ी।
मैनै मन मै लाया हे विचार आज तेरा कोए
भी नहीं।
मेरी सासड़ नै सुनया हे जवाब बहु रै
बेटा सिर पै धरी।
माता मान चाहे मत मान चीज या तो
ईसी ऐ बनी।
बेटा चीज बनी रै कोए बात नौ मास बेटा
बोझ मरी।
माता बोझ मरी के सान गोंद खाया तीन
धड़ी।
शक्कर कि भर रै परात खांड कि तो एक डली।
मूर्ख कि तो सारी रात चितर कि तो एक घड़ी।
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