नौमी नै मैंने नेम लिया सै तो दशमी एक खड़ खाया हो राम।
ग्यारस नै मै रही हे निर्जला तो
द्वादशी नै भोग लगाया हो राम।
तेरस नै मै मांजा रै धोया तो
चौदश नै पंडित जिमाया हो राम।
हर के घर से आई हे पालकी
तो ग्यारस नै दर्शन दिया हो राम।
मंगना हो सो मांग भगतनी
तो ग्यारस नै फल दिना हो राम।
पहली पालकी मै सासु रै सुसरा
तो सेवा करती जाऊं हो राम।
दुजी पालकी मै जेठ जिठानी
तो नेम पुगाती जाऊ हो राम।
तीजी पालकी मै देवर दौरानी
तो हसं बतलाती जाऊं हो राम।
चौथी पालकी मै ननद नन्देऊ
तो दान कराती जाऊं हो राम।
पाचवीं पालकी मै धीए जमाई
तो लाड लडाती जाऊं हो राम।
छठी पालकी मै पति परमेश्वर
तो पैर दबाती जाऊं हो राम।
सातवीं पालकी मै संग की सहेली
तो किर्तन करती जाऊं हो राम।
तु तो भगतनी बडी होशियारी
तो ग्यारस का फल मांगा हो राम।
0 Comments