नौ दशमी की रात ग्यारस मेरै मन बसी मेरे राम।
उगन्तै प्रभात सासु हेला दे रही मेरे राम।
उठो ना बहुड़ पीसो धान सुतया तड़को
हो गयो मेरे राम।
म्हारै सासु जी ग्यारस को नेम धान
थारो ना पिसै मेरे राम।
नहाई धोई करा इस्नान मन्दिर माही मै गई
मेरे राम।
ठाकुर जी कै करा प्रणाम माला फेरी प्रेम
की मेरे राम।
फेरत लागी सै देर पीवन आयो बाजनो
मेरे राम।
भागी दौड़ी सासु जी आए म्हारै पहले क्यु
चली मेरे राम।
म्हारै सासु जी ग्यारस को नेम धान
थारो ना पिसै मेरे राम।
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