मिठे लगे तेरे बेर भिलनी मिठे लगे तेरे बेर।

हट के खिलादे फेर भिलनी।

देख राम ने भिलनी आई।झुठे बेरो की भेट चढ़ाई।

रही चरणों मे सिर गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

कड़वे ना लाई खट्टे ना लाई।पाईया ना लाई आधपा ना लाई।

मै तो लाई पुरे सवा सेर भिलनी।

मिठे लगे 💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

श्री राम तो रुच-रुच खावे।लक्ष्मण बैठा मौका लावे।

गया पाछे न गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

इन बेरो की बने र दवाई।कोन्या बात समझ मै आई।

खाने पड़ै तनै फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

रुप बदल के मारिच आया। सीता जी को दर्श दिखाया।

लाईयो प्रभु घेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

तेरा भईया तुझे बुला रहा।जान बचाओ रुक्के मारै।

लिया संकट ने घेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

साधु बन के रावण आया।भिक्षा दे दो धर्म बताया।

ले गया कांधे गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

जब रावण ने सीता उठाई।अकेले जटायु ने करी लड़ाई।

लीनी घटा बिखेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

मृग मार के कुटिया पे आये।सीता-सीता आवाज लगाए।

गये वे मुखड़ा फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

पड़ा जटायु राम मनावे। सीता जी का पता बतावे।

ले गया रावण घेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

श्री राम को गुस्सा आ रहा। लक्ष्मण भैया उसे मना रहा।

चल दिए उसने टोहन भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

हनुमत से फिर हुई मिलाई।ढुंढ के लाईयो सीता माई।

वो उड रहा हनुमत शेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

कोना-कोना लंका का खोजा।बागा के मै हनुमत पहुंचा।

दई अंगुठी गेर भिलनी।

मिठे लगे 💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

श्री राम ने ले के आओ।इस लंका के ताले लगाओ।

मतना करियो देर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

बागा के मै मची तबाही। फिर लंका मे आड लगाई।

वो फुकी पुंजड़ फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

तुझे बुलावे मात हमारी।जल्दी कर लो युद्ध की तैयारी।

वा रोव केश बखेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

फिर हनुमत ने सेना बुलाई।लंका ऊपर करी चढ़ाई।

रहे जल पे पत्थर तैर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

श्री राम की पुरी तैयारी।लुटा दई रै वा सीता नारी।

नहीं लंका का टेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

नहीं किसी से युद्ध मे हारु।गुस्सा आके जब ललकारु।

नारी गर्भा ज गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

दोनों ओर से शस्त्र चाले।धरती अम्बर सारे हाले।

लुक गया सुरज अंधेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

मेघनाथ ने शक्ति  मारी।चक्कर खाके पड़ा बलकारी।

दिए उसने हाड बखेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

मुर्छा के मै लक्ष्मण आ गया।बुटी लाने हनुमत भागा।

दई आन मुख मे गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

राम नाम का घोटा लाग्या।सुता शेर बड़का जाग्या।

खिल गया चन्दा फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

लक्ष्मण उठा शिश नवाया।श्री राम ने छाती कै लाया।

वो रोया गले मे गेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

हनुमत की फेर करी बढ़ाई।मिला दिए रै तनै दोनों भाई।

तु सवा का शेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

फिर रावण का नाश हुआ था।श्री राम तो पास हुआ था।

रही सीता फूल बखेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

उस बुटी की हमे जरुरत।लाके दिखा दे ओ बाबा सुरत।

दिऐ दया तु फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

जिस घर भिलनी जागी गाई।सप्त लोक की मिल जा राही।

वो कोन्या जन्मे फेर भिलनी।

मिठे लगे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।

Categories: Ram bhajan

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