
लव-कुश कथा सुनो सारी जनकपुर जब थी मै क्वारी।
तोता-तोती एक दिन आए जनक दरबार।
तोती थी वो गर्भवती थी तोते की नार।
पकड़ मैंने पिंजरे मे डाली जनकपुर जब💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
तोता बैठा डाल पर तोती पिंजरे मायै।
उनको तड़फता देखकर मैंने दवा करी कुछ नायै।
मुझको हसँता देखकर दिया तोती ने श्राप।
जब तुम गर्भवती हो सीता मिले तुम्हें वनवास।
पति से हो जाओगी की न्यारी लव-कुश 💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
ब्याह हुआ दशरथ घर आई हो रहा मंगलाचार।
मात हमारी केकैयी ने दिया हमे वनवास।
कर्म की लीला है न्यारी लव-कुश💐💐💐💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
युद्ध हुआ जब राम ने दिया रावण को मार।
भरी सभा के बीच मे फिर कहा हमे ललकार।
परीक्षा अग्नि मे डाली लव-कुश💐💐💐।
लव -कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
रावण मार राम घर आए चौदह वर्ष के बाद।
दुख पावोगी गर्भ मे था तोती का श्राप।
बणो मे फिरोगी मारी-मारी लव-कुश💐💐💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
करनी तो भरनी पड़े चाहे राजा हो या फकीर।
पुत्र मै तो करनी से हारी लव-कुश💐💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
तीन लोक के नाथ है जिनके राजकुमार।
खान-पान कुछ है नहीं और नहीं घरबार।
बणो मे फिर रहे मारे-मारे लव-कुश💐💐💐।
लव-कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
ना सुख पावै आप और ना पावै औलाद।
पुत्र मै सती धर्म पर हुई बलिहारी लव-कुश💐💐।
लव -कुश💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
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