
लगा लो मात सीने से बरस 14 को जाते हैं,
तुम्हारी लाडली सीता साथ लक्ष्मण भी जाते हैं,
लगा लो मात💐💐💐💐💐💐💐।
रो रही मात कौशल्या नीर आंखों से बहता है,
राजा दशरथ भी रोते हैं आज मेरे प्राण जाते हैं,
लगा लो मात💐💐💐💐💐💐💐।
धन्य हो केकई माता उन्होंने हमें वन को भेजा है,
ना हाथी है ना घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है,
लगा लो 💐💐💐💐💐💐💐💐ः
यह भोजन क्यों बनाए हैं मात केकई को जा देना,
लिखा नहीं किस्मत में भोजन राम मां को समझाते हैं,
लगा लो मात 💐💐💐💐💐💐💐।
रो रही अयोध्या की प्रजा नीर आंखों से बहता है,
चले हैं वन खड़ को श्री राम प्रजा सब खड़ी घबराती है,
लगा लो मात 💐💐💐💐💐💐💐।
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