काहे का दिवलड़ा और काहे की बात, काहे को बिरथ जले
सारी रात।अन्दन चन्दन का दिवलड़ा और निरमामल की बात,
सुरियल को बिरथ जले सारी रात।
जल म्हारा दिवलड़ा झबक थारी बात,जौए धरु चौदस की रात।
थारी हो बाबा भैया ऊत्तम जात,थम जन्मा चौदस की रात।
काढ़ो अनका मौचड़ा पखालो अनका पावँ,मुड़ तुड़ लागो बाबा भैया के पावँ।छोरियाँ को बाबो भैया माई अर बाप,कुल बहुवाँ
को सदा सुहाग।छोरियाँ नै बाबो भैया चुंदड़ी उढ़ाए,बहुवाँ नै बाबो
भैया पिलियो उढ़ाए।छोरियाँ नै बाबो भैया सासरै खंदाए,बहुवाँ को बाबो भैया खेड़ो ऐ बसाएं।
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