
गंगा किनारे बुलबुल बैठी सावन की रही लाग झड़ी।
ओइम नमःशिव रटन लाग रही शिव गौरा कि नजर पड़ी।
गौरा बोली हो शिव भोले बुलबुल करती ध्यान तेरा।
नाम तेरे ने कतई भुलगा कलयुग का इन्सान तेरा।
पाप करै गंगा मे नहावै।ऐसी आगी उलटी घड़ी
गंगा किनारे💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
ओइम नमः💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
लेके ओला कावड़ का ये सुलफा गांजा ढोवै सै
गंगा जी के घाट पै ये लुट खसुट मचावै सै।
पाप करै गंगा मे नहावै।नयू मै सोचु खड़ी-खड़ी।
गंगा किनारे💐💐💐💐💐💐💐💐।
ओइम नमः💐💐💐💐💐💐💐💐।
पापी गुरु पाखंडी झुठे अपनी पूजा चाहवै सै।
मन्दिर मस्जिद छोड दिया यो आपा बडा बतावै सै।
धर्म दुकाना कि गिनती कोन्या।कोई छोटी कोई बहुत बडी
गंगा किनारे💐💐💐💐💐💐💐💐।
ओइम नमः💐💐💐💐💐💐💐💐।
कमलसिंह सही नाम जपे तो उनके बेड़े तैर जांगे
हे शिवशंकर तेरी दया से हम भी पार उतर जांगे
जैसे बुलबुल पार उतरगी। मै देखु थी खड़ी-खड़ी।
गंगा किनारे💐💐💐💐💐💐💐।
ओइम नमः💐💐💐💐💐💐💐।
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