गंगा जमना के मार्ग मे ।
पापी धर्मी जाए भज मन एकादशी।
मै तैने बुझू रै पापीड़ा।
के के पाप कमाये भज मन एकादशी।
मन्दिर तुड़ाया मैने बावड़ी।
समुंद्र की तोड़ी पाल भज मन एकादशी।
मै तैने बुझू रै पापीड़ा।
के के पाप कमाए भज मन एकादशी।
भूखा तै मैंने भोजन ना दिया।
सबसे कड़वा बोल भज मन एकादशी।
बाहन बुलाई ना बाहनजी।
भानजा का भरा ना भात भज मन एकादशी।
इस कारण मै बना पखेरु।
छीन झपट ले जाए भज मन एकादशी।
गंगा जमना के मार्ग मे ।
पापी धर्मी जाए भज मन एकादशी।
मन्दिर बनाया मैंने बावड़ी।
समुंद्र की बांधी पाल भज मन एकादशी।
भूखा नै मैनै भोजन दिया।
सब तै मीठा बोल भज मन एकादशी।
बाहन बुलाई मैनै बाहनजी।
भानजा का भरा मैनै भात भज मन एकादशी।
इस कारण मै बना रै राजा।
प्रजा जोड़ै हाथ भज मन एकादशी।
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