एक बुढिया ग्यायश करा करती ।

 वैकी बहुड़ गाल बका करती।

वैनै कौन लयादे फल फूल व्रत बडो ग्यायश को।

वैको बेटो मसल नुहाया करतो।

वैको बेटो लयावै फल फूल व्रत बडो ग्यायश को।

तैनै राम बुलावै बेटी पापी की।

तैनै के रै करा धर्म पुण्य व्रत बडो ग्यायश को।

 मै तो सासु की ग्यायश छुटाया करती।

 मै तो बड़ और पीपल कटाया करती।

 सरवर की ढवा दई पाल व्रत बडो ग्यायश को।

 तुनै राम बुलावै बेटा धर्मी का रै।

तैनै के रै करा धर्म पुण्य व्रत बडो ग्यायश को।

 मै तो माता नै मसल नुहाया करतो रै।

माता नै 

मै तो बड़ और पीपल लगाया करतो रै।

सरवर की बंधा दई पाल व्रत बडो ग्यायश को।

 तुनै राम बुलावै बेटी पापी की ।

 तु तो कीड़ा की कुंड मै जाए व्रत बडो ग्यायश को।

तैनै राम बुलावै बेटा धर्मी का रै।

तु तो सुधो स्वर्ग मै जाये व्रत बडो ग्यायश को।


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