
दुसर लेके आई हे छोरियों ।
सास मेरी कै चाव घना था।
सांझै सोवन खंदाई ऐ छोरियों।
दमदम करती महला चढ गई।
पाया ना ननद का भाई ऐ छोरियों।
आधी रात शिखर तै ढल गई।
जब वो छैला आया हे छोरियों।
कांधे ऊपर हरा ऐ तोलिया।
तोलिये मै सेर मिठाई ऐ छोरियों।
वो बोलया ऐ छोरी खाले हे मिठाई।
सरमाती हे मै बोली कोन्या।
बिस्तर मै दबाई ऐ छोरियों।
दिन निकला जब हुया हे सवेरा।
सासु रुक्के मारै ऐ छोरियों।
दमदम करती तलै उतराई।
आके चाकी जोड़ी ऐ छोरियों।
सास मेरी तो चम्बो चाली।
बिस्तर नै ठा लाई ऐ छोरियों।
बिस्तर मा तै झड़ै हे मिठाई।
देवर चुग चुग खावै ऐ छोरियों।
बाहरने तै वो छैला आया।
खड़ा खड़ा नाड़ हलावै ऐ छोरियों।
अनपढ गौरी रै कोई मत लाइयो।
चौड़े मै मरवावै ऐ छोरियों।
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