बोल्या रै एक कथा सुनाऊ सुन लो ना करके ध्यान।

दूर देश तै बाबा आया धुना लिया रमाय।

बोल्या रै एक हूर निकलगी बनकै ना गजबन नार।

आखं खोल बाबा देखन लागा नाचै गझबन नार।

बोल्या रै बाबा पैरै चला जा  मत मेरा धर्म घटाए

यही नाचुंगी  बाबा यही कुदुंगी यही करु विश्राम।

बोल्या रै बाबा कित जाऊंगी इन्र्द नै दई मै भगाए।

यही नाचो बेटी यही कुदो और यही करो विश्राम।

बोल्या रै कुटिया मै चली जा जड़ ले ना अजड़ किवाड़।

बारह बजे तक भजन करा फेर धुना दिया भुजाए।

बोल्या रै पानी टोकनी धुने मै दई सै रीताए ।

लटा पाड़ धुने मै गेरी रै बाबा हुआ परेशान।

बोल्या रै बेटी साकल खोलो निकलै सै मेरे प्राण।

आगल खुलती ना साकल खोलती ना खुलते अजड़ किवाड़।

बोल्या रै बाबा बेसक मर जा खोलते ना अजड़ किवाड़।

छांद पाड़ बाबा भीतर बड़गा बैठे श्री भगवान।

बोल्या रै एक हूर बड़ी थी बनके ना गजबन नार।

बोल्या रै तेरी लई थी परीक्षा बनकै ना गजबन नार।

बोल्या रै बाबा बीए पढ़ रहा पेपर मै हो गया फेल।

Categories: Ram bhajan

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