
बिन्दियाँ काहे को लगाई -2।
सिन्दूर की बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
इस बिन्दियाँ मे हनुमान जी प्रभु तुम्हारे रिझे थे।
जब-जब वो महलो मे आते मन हि मन मुस्काते थे।
बिन्दियाँ यु हि तो लगाई-2।
सिन्दूर की बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
इतना सुनकर हनुमान ने भी सिन्दूर मंगाया।
घोल-घोल के तेल मे फिर सारा बदन रचाया।
वो तो जाए द्वार पे बैठे-2।
हनुमानजी बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
इतने मे श्री रामचन्द्र जी भोजन करने आए।
द्वारे पे हनुमत को देखा मन हि मन मुस्काए।
ऐसा भेष क्यों बनाया-2।
हनुमानजी बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
माता की बिन्दियाँ से भगवन कितना प्यार जताते।
इसिलिए तो मैने अपना सारा बदन रचाया।
ठाके सीने से लगाए हनुमानजी-2।
बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
तेरा भगतो मे होगा-2 ।
तेरा नाम रे बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
मंगल और शनिचर को जो सिन्दूर चढाए।
घी का दीपक बुंदी और लड्डू का भोग लगावे।
उसके साथ शनिचर-2 ।
कभी ना आए बतादे माता जानकी करुणानिधान की।
बिन्दियाँ काहे💐💐💐💐💐💐।
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