
बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
मैनै सास सुसर की सेवा करी ओ भोले।
मैनै रातों दाबे पैर बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
मैनै बाहन बुआ का मान करा ओ भोले।
मैनै भरा पाटड़े पै भात बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
मैनै जेठ जिठानी की कान करी ओ भोले।
मैनै उनका मान बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
मैनै साधु संत को दान दियो ओ भोले।
कोए भेजा ना खाली हाथ बांझ मै क्यूँ रहगी।
मैनै खड़ी बुहारी ना काढी ओ भोले ।
मैनै कदे ना बखेरी सीख बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
मैनै दोनों बखता ज्योत जगाई ओ भोले।
मैनै खूब रटा भगवान बांझ मै क्यूँ रहगी ओ भोले।
इतनी सुनके भोला कह हे लाडो।
तैनै सारी दु समझाए बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
तैनै सास सुसर की सेवा करी हे लाडो।
खाने मै कर दिया भेद बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
तैनै जेठ जिठानी की कान करी हे लाडो।
तैनै बोले कड़वे बोल बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
तैनै बुआ बाहन का मान करा हे लाडो।
तैनै मारी भानजे कै लात बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
तैनै खड़ी हे बुहारी ना काढी हे लाडो।
तैनै मारी हे बुहारी कै लात बांझ तु न्यु रहगी।
तैनै साधु संत को दान दिया हे लाडो।
तैनै उसका करा बखान बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
तैनै दोनों बखता ज्योत जलाई हे लाडो।
भीतर मै राखा पाप बांझ तु न्यु रहगी हे लाडो।
गया बखत अब नहीं आवै हे लाडो।
तु सबका राखिए मान गोद तेरी भर जागी हे लाडो।
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