बाहर खड़ा गुरुदेव मैंने तो सतसंग मे जाना है।

सासँ लाई मटकी ननद लाई झारी।

मै तो लाई गिलास मैंने तो सतसंग मै जाना है।

फुट गई मटकी बिखर गई झारी।

पानी तो प्यावै गिलास मैंने तो सतसंग मै जाना है।

बाहर खड़ा💐💐💐💐💐💐💐।

सासँ लाई लडडू ननद लाई पेड़ा।

मै तो लाई प्रसाद मैंने तो सतसंग मै जाना है।

फुट गया लडडू बिखर गया पेड़ा।

सतसंग मै बाटों प्रसाद मैंने तो सतसंग मै जाना है।

बाहर खड़ा💐💐💐💐💐💐💐।

सासँ लाई चुन्दड़ी ननद लाई साड़ी।

मै तो लाई रुमाल मैंने तो सतसंग मै जाना है।

पाट गई चुन्दड़ी बिखर गई साड़ी।

मुख तो पुछै रुमाल मैंने तो सतसंग मै जाना है।

बाहर खड़ा💐💐💐💐💐💐💐।

सासँ गई पीहर ननद गई सासरै।

मै तो गई सतसंग मैंने तो सतसंग मै जाना है।

कहत कबीर सुनो भाई साधो सतगुरु तारै पार

मैंने तो सतसंग मै जाना है।


0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *