khatu shyam

आखों के आसु हर पल पुकारे आजा

 हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

आजा हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

गहरी नदी है तेज है धारा 

रात अंधेरी दूर किनारा।

माझी बनकर के तु ही तो सबको पार उतारे

आजा हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

आस की माला टुट गई है

शायद किस्मत रुठ गई है।

गैर हो गए जो थे अपने अब अपनो से हारी

आजा हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

ऐसा कोई नजर ना आए जो इस 

दिल को धीर बंधाए।

जो देखे थे सपने मैंने चुर हो गए सारे

आजा हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

देर करो ना कृष्ण कन्हैया पार लगा 

दो मेरी नैया।

कैसी फूल खिलेंगे धरत ये ये

पतझड़ के मारे

आजा हारे के सहारे आजा हारे के सहारे।

आखों के आसु💐💐💐💐💐💐💐।


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