दलिया खाके सो गई मै कुला करना भूल गई।
बाहर तै एक कुत्ता आया दलिया की महकार जी।
पहला तो मेरा मुंढो चाटो पाछै मारी धार जी।
तड़कया उठ के बुझन लागो कहो रात की बात जी।
दलिया खाके सो गई मै कुला करना भूल गई।
बाहर तै एक कुत्तों आयो दलिया की महकार जी।
पहला तो मेरा मुंढो चाटो पाछै मारी धार जी।
और किसे तै कहिये मतना बेलखन ककी नार जी
कातक का महिना आया गंगा जी का नाहन जी।
सारी सखियाँ नाहन गई सै मैंने जाना नाहन जी।
इबके गौरी टाल रहनै दे हाथल सै तेरी भैंस जी।
खुटी कै मेरा दामन टक रहा पहर काढिये धार जी।
दामन तो उनै पहर लिया सै काढनै लागया धार जी।
बाहर तै एक बाबा आया बिछया घालो बाहन जी।
बाहन तो तेरी नाहन गई सै जीजा काढै धार जी।
खुटा पडा़ के भैंस भाग गई गई फलसे कै पार जी।
दामन तो उनै काढा कोन्या चुनंदड़ी लेगा साथ जी।
चौराहे पै खड़े पुलिसिये मुछा वाली नार जी।
मुछा वाली नार नहीं यो बाहन का यार जी।
0 Comments