अहे मेरा छोटा सा देवरिया बम्बई मै जहाज चलावै।
अहे ऊकी हुई जाने कि तैयारी कोए
चीज मंगाले भाभी प्यारी।
अहो देवर सच्चा मोती लाईए नहीं
वही डूब मर जाईये।
अहे वो ऊत तै चाला-चाला वो जा
दिल्ली मै डैटगा।
अहे उने ऊत सै जहाज चलाई
वो जाए किनारे डटैगी
अहे वे ऊड गये हंस बिचारे
उसनै चुग लिया मोती सारे।
अहे ऊनै ऊत सै जहाज घुमाई
वो आ दिल्ली मै डटैगा।
अहे भाभी आगल साकल खोलो
तेरा बाहर खड़ा देवरिया।
अहो दैवर आखाँ मै घैल रहा
सुरमा हाथा कै लाग रही मेंहदी।
अहो देवर गौरा-गौरा रंग सै
थारा शादी वाला ढंग सै।
अहे भाभी बानियाँ कि छोरी
मिलगी मैनै उसतै कर ली शादी।
अहो देवर लाया कोन्या दौरानी
मेरै संग मै भरती पानी।
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