
सैर करनै नै चली रै पार्वती।आगे तै आवै नारद मुनि।
तेरे पति धोरै अमर कथा है।सुनले कोन्या पार्वती।
सांझ हुई जब शंकर आऐ।सुनो नाथ जी सुनो पति जी।
अमर कथा तेरी कदे ना सुनी।बारह साल म्हारे ब्याह नै
हो लिऐ।या शिक्षा आज किसने दई।
सैर करनै नै गई हे पार्वती।आगे तै आवै नारद मुनि।
तेरे पति धोरै अमर कथा है।या शिक्षा नारद मुनि नै दई।
लगा समाधि शिव शंकर बैठे। पार्वती की आंख लगी।
अमर कथा जब हुई हे समाप्त।पार्वती कि आंख खुली।
सुनो नाथ जी सुनो पति जी।अमर कथा तेरी हमनै ना सुनी।
अमर कथा तुनै म्हारी रै ना सूनी।ये हुकारे किसने भरे।
उठा बाण शिव शंकर चाले।एक तोते पे नजर पड़ी।
उड-उड तोता सारै फिर आया।कितै ना पाई रहनै कि जगह।
व्यास जी घर नारी खड़ी थी
उसके मुख मे समाय गया।बारह साल मै पुत्र जाया।
पुत्र जाया रति-रति।अमर कथा कोई सुने रै सुनावै।
उसकी होजा अमर गति।
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