सिर पै घड़ा घड़े पै झारी-2

हुईं पनघट की राही जल भरनै देवकी आई।

उरले पासै खड़ी देवकी।

परले यशोदा माई जल भरनै देवकी आई।

अपनी बाहन कै गले लाग के।

हिलकी देके रोई जल भरनै देवकी आई।

के दुख सै तैनै सास ननद का।

के बालम धमकाई जल भरनै देवकी आई।

ना दुख सै मैनै सास ननद का।

ना बालम धमकाई जल भरनै देवकी आई।

एक दुख सै मैनै कंस बीर का।

जन जन बांझ कहवाई जल भरनै देवकी आई।

इबकै बाहन तेरे छोरा हो तो।

गोकुल दियो पहुचाई जल भरनै देवकी आई।

जब देवकी कै पीड ऊठी सै।

तो घिर रही रात अंधेरी जल भरनै देवकी आई।

जब कृष्ण नै जन्म लियो थो।

खुल गई साकल बेड़ी जल भरनै देवकी आई।

लाओ रे डलिया लाओ रे लाला।

गोकुल देवो पहुचाई जल भरनै देवकी आई।

जब वासुदेव उनै लेके चाले।

चढ रही जमना भारी जल भरनै देवकी आई।

जब जमना मै लहर बढी थी।

वासुदेव घबराए जल भरनै देवकी आई।

जब लाला नै पाव लटकाए।

फट गई जमना माई जल भरनै देवकी आई।

नन्द भी सोवै यशोदा भी सोवै।

जागै कन्या माई जल भरनै देवकी आई।

लाला को सुलाया कन्या को उठाया।

ले मथुरा मै आए जल भरनै देवकी आई।

जब रै कंस नै बेरो पाटो।

कन्या लई उठाई जल भरनै देवकी आई।

कंस जले तै हाथ छुडा के।

ऊपर चढ के बोली जल भरनै देवकी आई।

मैनै के मारै कंस कसाई।

तेरो मारनिया गोकुल आए ।

आकर रास रचाई जल भरनै देवकी आई।


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