सखी री मेरो लागुंरिया रोज लगाव पव्वा ।

सवेरे को जावे वो तो सन्ध्या को आवे ।

दो पव्वे वो पीकर आवे। कैसो बनायो बलैवा ।

सखी💐💐💐💐💐💐💐💐।

हाथ नहीं है सखी भर भर चुडियां ।कैसे कहु

री सखी घर की बतीया ।कैसो बनायो बलैवा ।

सखी री 💐💐💐💐💐💐💐।

छोरो भी मारो वैन छोरी भी मारी ।रोज बजावे वो टल्ला ।सखी री 💐💐💐💐💐💐💐।

सास भी मारी मेरी ननद भी मारी ।रो-रो बुलायो मोहल्ला

सखी री💐💐💐💐💐💐।


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