
साढ मास मै बोई भोली तुलसा।
सावन दो दो पत्ती आई मेरे राम।
बाधवा महिना तुलसा पाली और पूजी।
आसोज पित्र जिमाए मेरे राम।
कार्तिक महिना तुलसा कार्तिक नहाई।
मंगशेर ढंगसिर हुई मेरे राम।
पौ हे महिना तुलसा आवला सिलाया।
माह मै ठंडे जल नहाई मेरे राम।
फाल्गन मै तुलसा फाल्गन खेली।
गंदे गाने नहीं गाये मेरे राम।
चैत्र महिना तुलसा महल चिनाया।
बैसाख न्युठ बोली मेरे राम।
वर घर ढुंढो मेरा वर घर ढुंढो।
आपै ही वर घर ढुंढा मेरे राम।
जब कृष्ण की हुई हे सगाई।
तो काकी ताई फुली फुली डोलै मेरे राम।
जब तुलसा का लगन लिखाया।
काकी ताई मंगल गावै मेरे राम।
जब कृष्ण जी बागा मै आऐ।
बागा के मोर कुकाए मेरे राम।
जब कृष्ण जी ताला पै आए।
तो ताला की धोबन रिझाई मेरे राम।
जब कृष्ण जी घेरा मै आए।
तो घेरा की गाए रम्भाई मेरे राम।
जब कृष्ण जी गलियां मै आए।
तो गलियां मै धूम मचाई मेरे राम।
जब कृष्ण जी बारोठी पै आए।
मोतीयन चौक पुराए मरे राम।
इब भोली तुलसा न्युठ बोली।
बाजा ना लाए गाजा ना लाए।
तो बंशी की टेर सुनाई मेरे राम।
जब कृष्ण जी फेरा पै आए।
तुलसा नै माला घाली मेरे राम।
दो केले का थम्ब लगाया।
ज्ञानी ध्यानी पंडित बुलाए मेरे राम।
इब कृष्ण जी न्युठ बोले।
पहला वचन मेरा सुनो भोली तुलसा।
माँए बाप की सेवा करोगी।
तो जब तैनै बाए अंग लेवु मेरे राम।
दुसरा वचन मेरा सुनो भोली तुलसा।
बडा हे बीर की कान करोगी।
तो जब तैनै बाए अंग लेवु मेरे राम।
तीसरा वचन मेरा सुनो भोली तुलसा।
अपनी ननद कै पीछे चलोगी।
तो जब तैनै बाए अंग लेवु मेरे राम।
चौथा वचन मेरा सुनो भोली तुलसा।
बिना हे बुलाए अपने घर नहीं जाइये।
तो जब तैनै बाए अंग लेवु मेरे राम।
इब भोली तुलसा न्युठ बोली।
पहला वचन मेरा सुनो कृष्ण जी।
माँए बाहन की गाल ना दोगे।
तो जब तेरै बाए अंग आउ मेरे राम।
दुसरा वचन मेरा सुनो कृष्ण जी।
अपनी कमाई का लेखा ना लयोगे।
तो जब तेरै बाए अंग आउ मेरे राम।
तीसरा वचन मेरा सुनो कृष्ण जी।
सखियां मै बैठ ना झगड़ा करोगे।
तो जब तेरै बाए अंग आउ मेरे राम।
तिरिया गावै पुत्र खिलावै।
कन्या गावै वर घर पावै।
बुढिया गावै गंगा मै नाहवै।
सीधी स्वर्ग मै जावै मेरे राम।
कहत कबीर सुनो भाई साधो।
जन्म मरण छुट जावै मेरे राम।
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