गोवर्धनवासी सांवरे तुम बिन रहयो न जाये।

बंकचिते मुसकाय के सुंदर वदन दिखाय।

लोचन तलफें मीन ज्यों पलछिन कल्प विहाय ॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

सप्तक स्वर बंधान सों मोहन वेणु बजाय।

सुरत सुहाई बांधि के मधुरे मधुर गाय॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

रसिक रसीली बोलनी गिरि चढ गाय बुलाय।

गाय बुलाई धूमरी ऊंची टेर सुनाय॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

दृष्टि परी जा दिवस तें तबतें रुचे नही आन।

रजनी नींद न आवही बिसरयो भोजन पान॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

दरसन को नयना तपे वचन सुनन को कान।

मिलवे को हियरा तपे जिय के जीवन प्रान॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

मन अभिलाषा यह रहे लगें ना नयन निमेष।

इक टक देखौ आवतो नटवर नागर भेष॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

पूरण शशि मुख देिख के चित चोट्यो वाहि ओर।

रूप सुधारस पान को जैसे चन्द चकोर॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐।

लोक लाज कुळ वेद की छांड्यो सकल विवेक।

कमल कली रवि ज्यों बढे छिन छिन प्रीति विशेष॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐💐।

मन्मथ कोटिक वारने निरखत डगमगी चाल।

युवति जन मन फंदना अंबुज नयन विशाल॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐💐।

कुंज भवन क्रीडा करो सुखनिधि मदन गोपाल।

हम वृंदावन मालती तुम भोगी भ्रमर भुवाल॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐💐।

यह रट लागी लाडिले जैसे चातक मोर।

प्रेमनीर वरखा करो नव घन नंद किशोर॥

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐💐।

युग युग अविचल राखिये यह सुख शैल निवास।

गोवर्धनधर रूप पर बलिहारी चतुर्भुज दास

गोवर्धनवासी💐💐💐💐💐💐💐💐।


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