गंगा नहान गई थी ऐ रुकमण ऊठ पहर का तड़का

हे कृष्ण जी की बाजी बासुरी मेरा कालजा धड़का।

कह दिए री माँ पिता मेरे नै-2।

कहिए ठोक बजा के हे कृष्ण गैलया ब्याह 

करावाऊ मेरा कालजा धड़कै।

हे तु तो रै सुथरी घनी सै-2।

कृष्ण का रंग काला हे शिशुपाल गैलया ब्याह 

करवाले कटै रुप का चाला।

हे शिशुपाल मेरे पावं की जुती-2।

के लागै मेरा साला हे कृष्ण गैलया ब्याह

करवाऊ भूरा हो चाहे काला।

हे मन्दिर मा तै रुकमण निकली-2।

अपना थाल सजाके हे आगे तै हो वो कृष्ण आ

गया अपना अर्थ सजा के।

हे मेरे अर्थ मै बैठ ले रुकमण-2।

तेरे लिए सजाया हे कृष्ण जी का संख बाज 

रहा हुया नगरी मै उजियारा।

हे दर्शन करके प्रसन्न हो गए-2।

हृदय मे उजियारा हे  पत्थर के मै दिया दिखाई

मोहन मुरली वाला।


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