
ऐसी के रचना रच गया तू जहां देखूं वहां तू ही तू।
मेरे मन बस गया तु जहां देखु वहां तु ही तु।
बाबू बन के रेल चलावै।
टी टी बन के टिकट कटावै।
रेल का इंजन बन गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू।
ऐसी के रचना रच💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
माली बन के बाग़ लगाया
तोता बन के सब फल खाए।
सारी मेवा खा गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू।
ऐसी के रचना रच 💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
बालक पन के मिट्टी खाई।
मां अपनी तै छवि दिखाई ।
तीनों लोक दिखाए गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू,
ऐसी के रचना रच💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
मधुबन मै तु गऊ चरावै।
निधि वन मै तु रास रचावै।
गोवर्धन पर्वत उठाए गयो तू, जहां देखूं वहां तू ही तू।
ऐसी रचना रच 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐।
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