
चंदनी सी रात चटक रहा तारा तो चाल चन्दरावल पानी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
सासं सुपाती मेरी नन्द हठीली के रात नै खंदा दई पानी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
उरलै तो मरवन मेरो घड़ो हे ना डुबै तो परलै खड़ा सै मुरारी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
नीची तो होके गुजरी घड़ो हे डुबोयो तो चीर नै तो ले गयो मुरारी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
चीर तो मेरो थम दे दो हो मुरारी के जल बिच खड़ी सु उघाड़ी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
चीर तो गुजरी थारो जब रै मिलगो तो है जाओ जल तै न्यारी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी।
जल तै भी न्यारी जगत तै भी न्यारी के देख रही दुनिया सारी कैसे हो भर ल्याऊ जल जमना कि झारी ।
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