
ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादुगारी ने।
किस कारण से संग मे मुरली रखी है गिरधारी ने।
बांस के एक टुकड़े मे ऐसा क्या देखा बनवारी ने ।
किस कारण💐💐💐💐💐💐।
कभी हाथ मे कभी कमर मे कभी अधर पे सजती है
मोहन कि सासों कि थिरकन से पल ये मे बजती है ।
काहे इतना मान दिया है बंशी को गिरधारी ने।
किस कारण💐💐💐💐💐💐💐💐।
एक पल मुरली दूर नही क्यो सावरिये के हाथो से
रास नहीं रचता इसके बिन क्यों पुनम कि रातों मे
काहे को सौतन कह डाला इसको राधे रानी ने।
किस कारण💐💐💐💐💐💐💐💐।
अपने कुल से अलग हुई और अंग अंग कटवाया है
गरम सलाखो से इसने है रोम रोम बिधवाया है।
तब जाकर ये मान दिया है बंशी को कृष्ण मुरारी ने।
इस कारण से संग मे मुरली रखी है गिरधारी ने।
त्याग तपस्या क्या है सुरज ये मुरली समझाती है।
प्रेम करो मुरली के जैसा कान्हा हर पल साथी है।
सच्चे प्रेम को ढ़ुढ़ंता रहता मोहन दुनिया सारी मे।
ये कारण है संग मे मुरली रखी है गिरधारी ने।
बांस के एक टुकड़े मे ऐसा क्या देखा बनवारी ने ।
किस कारण💐💐💐💐💐💐💐💐।
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